होरी श्याम मचाई बिरज मा Hori shyam machai biraj ma



होरी श्याम मचाई बिरज मा -2
सब सखियाँ  रे सब सखियाँ सब सखियाँ देखन  आयी
बिरज मा होरी.......

बाजत ताल मृदंग शंख गज  घंटा घहराई।
उड़त गुलाल लाल भये बादर होरी सकल जग  छाई।।
बिरज मा होरी.......

राधे सैन दियो  सखियन को झुण्ड झुण्ड उठि धाई।
लपटि झपटि गयी श्याम सुन्दर की बरबस पकरि ले आयी।।
बिरज मा होरी.......

ओढ़ लियो मुख मुरली पिताम्बर सिर से चुनरी ओढ़ाई।
बेंदी भाल नैन बिच काजर नक बेसर पहिराइ।।
बिरज मा होरी.......

इत ते आवत सुघर राधिका उत ते कुंवर कन्हाई।
हिलि मिलि फ़ाग परस्पर गावै शोभा बरनि न जाई।।
बिरज मा होरी.......

फगुवा लेइहो जान न देइहो करिहो कोन उपायी।
लेब चुकाई कसर सब दिन की तुम बड़े चोर चबायी।।
बिरज मा होरी.......

वृंदावन की कुञ्ज गलिन माँ श्याम करै लरिकाई।
राधे श्याम युगल यह जोड़ी सूरदास यस गायी।।
बिरज मा होरी.......

                                                                       निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री  राजेंद्र सिंह (विषधर )
                                                                       लेखक;  शरद सिंह 
                  
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