सइयां गए परदेश बदरवा इहाँ न बरसेव बूँद
हाँ.... जाये बरसेव रे जाये बरसेव जाये बरसेव पियाके देश ,
बदरवा इहाँ न........
काली कोयलिया तुम नहीं बोल्यो काली लौंग न खायो।
काले मर्द की सेज न सोयो मई काली होय जाऊं।।
बदरवा इहाँ न........
कबहुँ न मेहँदी हाँथ लगायो कबहुँ न गूंथ्यों केश।
कबहुँ न सेंदुर मांग भरायो कबहुँ न सोयों सेज।।
बदरवा इहाँ न........
सावन मेहँदी हाँथ लगायो भादौ गूंथ्यो केश।
क्वार मॉस माँ मांग भरायो कातिक सोयों सेज।।
बदरवा इहाँ न........
बिछुवा मोरा पाइयाँ परत है चोली भीजत अंग।
लटकन मोरी चुम्मा लेत है पाटी सोवै संग।।
बदरवा इहाँ न........
निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री राजेंद्र सिंह (विषधर )
लेखक; शरद सिंह
