मुरलिया काहे गुमान भरी -२
हाँ.... हाँ... अरे काहे गुमान भरी अरे हो काहे गुमान भरी
मुरलिया.......
जड़ तोरी जानू जाति पहिचानु -2
मधुबन की लकरी।।
मुरलिया.......
कबहुँ मुरलिया कर पर सोहै -२
कबहुँ अधर धरी।।
मुरलिया.......
सुर नर मुनि सब मोहि गए है -२
देवन ध्यान धरी।।
मुरलिया.......
निर्देशक : राजेंद्र बहादुर सिंह , राजेंद्र सिंह (विषधर)
प्रकाशक -शरद सिंह