मो सम कोन बड़ा परिवारी -2
हाँ........ हे कोन बड़ा परिवारी -२
मो सम............
हाँ........ हे कोन बड़ा परिवारी -२
मो सम............
सत सा पिता धर्म सा भाई लज्जा है महतारी।
सील बहन संतोष पुत्र है क्षमा हमारी नारी।।
मो सम............
आशा साला तृष्णा सरहज लोभ मोह दुई सारी।
अहंकार है ससुर हमारे ,इनका डर मोहे भारी।।
मो सम............
मन वजीर है सुख है राजा, दुनऊ की गति न्यारी।
काम क्रोध दुइ चोर बसत है, इनका डर मोहे भारी।।
मो सम............
नाम गुरु है भाग्य है चेला, ईश्वर भक्ति संभारी।
कहै कबीर सुनो भई साधो, हम है अगम अपारी।।
मो सम............
निर्देशक : राजेंद्र बहादुर सिंह , राजेंद्र सिंह (विषधर)
प्रकाशक -शरद सिंह