सिर पर धरे गगरिया ग्वालिन -2
हाँ..... हे सिर पर धरे गगरिया -2
ग्वालिन सिर........
अपने घर से चली अकेले संग नहि और गुजरिया।
जाए के पहुंची यमुना घाट मा परि गए कृष्ण नजरिया।।
ग्वालिन सिर........
काहे की तोरी गगरी घैलना काहे की इन्डोरिया।
कौने सागर से जल भरि लायो जइहो कौन डगरिया।।
ग्वालिन सिर........
सरब सोन की गगरी घैलना रेशम की इन्डोरिया।
जमुना जी से जल भरि लायो जइहो मथुरा नगरीया।।
ग्वालिन सिर........
भरि पिचकारी मरी कृष्ण ने भीजै चटक चुनरिया।
अंग अंग में रंग बिराजै टपकै कृष्ण डगरिया।।
ग्वालिन सिर........
निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री राजेंद्र सिंह (विषधर )
लेखक; शरद सिंह
हाँ..... हे सिर पर धरे गगरिया -2
ग्वालिन सिर........
अपने घर से चली अकेले संग नहि और गुजरिया।
जाए के पहुंची यमुना घाट मा परि गए कृष्ण नजरिया।।
ग्वालिन सिर........
काहे की तोरी गगरी घैलना काहे की इन्डोरिया।
कौने सागर से जल भरि लायो जइहो कौन डगरिया।।
ग्वालिन सिर........
सरब सोन की गगरी घैलना रेशम की इन्डोरिया।
जमुना जी से जल भरि लायो जइहो मथुरा नगरीया।।
ग्वालिन सिर........
भरि पिचकारी मरी कृष्ण ने भीजै चटक चुनरिया।
अंग अंग में रंग बिराजै टपकै कृष्ण डगरिया।।
ग्वालिन सिर........
निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री राजेंद्र सिंह (विषधर )
लेखक; शरद सिंह