सखी बरजो यशोदा जी कान्हा
सखी बरजो रे शखि बरजो
सखि बरजो .........
मै दधि बेचन जात वृंदावन मारग में अठिलाना।
सबै दही की गागर फोरी फिर चोली मसकाना ।।
सखि बरजो .........
ताहि समय घर आयो रे कान्हा मातु से रोड़ा ठाना।
ए मैया मोहि बहुत रिझावै दई दे नयन निशाना।।
सखि बरजो .........
तुम सांचो तुम्हरा सुत सांचो हमहू से करत बहाना।
एक राति रस बस करि जान्यो करि अपनो मनमाना।।
सखि बरजो .........
वृंदावन की कुंज गलिं मा फिरै कान्ह मस्ताना ।
सूर श्याम हरि गुड़न के आगर नंद गांव बरसाना।।
सखि बरजो .........
निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री राजेंद्र सिंह (विषधर )
लेखक; शरद सिंह
सखी बरजो रे शखि बरजो
सखि बरजो .........
मै दधि बेचन जात वृंदावन मारग में अठिलाना।
सबै दही की गागर फोरी फिर चोली मसकाना ।।
सखि बरजो .........
ताहि समय घर आयो रे कान्हा मातु से रोड़ा ठाना।
ए मैया मोहि बहुत रिझावै दई दे नयन निशाना।।
सखि बरजो .........
तुम सांचो तुम्हरा सुत सांचो हमहू से करत बहाना।
एक राति रस बस करि जान्यो करि अपनो मनमाना।।
सखि बरजो .........
वृंदावन की कुंज गलिं मा फिरै कान्ह मस्ताना ।
सूर श्याम हरि गुड़न के आगर नंद गांव बरसाना।।
सखि बरजो .........
निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री राजेंद्र सिंह (विषधर )
लेखक; शरद सिंह