लंका पैज कीन्ह हनुमाना Lanka Paij Keenh Hanumana

 लंका पैज कीन्ह हनुमाना -२ 
 हाँ... वह  गरभी रे  गरभी वह गरभी मरम न जाना 
लंका....... 

हनूमान गए फुलवरिया अमरी क बिनि खायो।
लंका गहि  मा बोरयो तबै मंदोदरि जाना।।
लंका....... 

यती न होय को योद्धा आयो बन्दर रूप देखाना।
अक्षय कुमार का मारि गिरयो तबै रावणा जाना।।
लंका....... 

पैठि पताल तोरि यम कातर मंदिर जाय समाना।
अहि  रावण की भुजा उखार्यो फेकि दियो असमाना।।
लंका....... 

राम लक्ष्मण भरत शत्रुघन है बल बुद्धि निधाना।
इनकी गति का कोउ न जानै तुलसीदास बखाना।।
लंका....... 

                 निर्देशक : राजेंद्र बहादुर सिंह , राजरंदरा सिंह (विषधर)
                 प्रकाशक -शरद सिंह 

1 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें
और नया पुराने