जनमे कुंवर कन्हाई बिरज मा Janme Kunwar Kanahai Biraj Ma


जनमे कुंवर कन्हाई बिरज मा -2
हाँ..... हे जनमे कुँवर कन्हाई -2
बिरज माँ......

प्रात समय कंसा जब जागा पंडित लीन बोलाई।
तुम तो कहयो बालक कोई होई कन्या कहां से आई।।
बिरज माँ......

खोल के पत्रा पंडित बांचै गुन के अर्थ लगाई।
बालक भयो सो गए गोकुल का तेहिका करो उपाई।।
बिरज माँ...... 

लै वसुदेव चले गोकुल का यमुना चरणन धाई।
पीछे उनके सिंघ दहाड़े वासुदेव घबराई।।
बिरज माँ...... 

जाए के पहुंचे नंद भवन में बालक दियो सोवाई।
कन्या लैके मधुपुर लौटे सूरदास यस गाई।।
बिरज माँ....

                                                                     निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री  राजेंद्र सिंह (विषधर )
                                                                       लेखक;  शरद सिंह  
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