चन्द्रबदन उजियारी राधा Chandrabadan ujiyari radha

चन्द्रबदन  उजियारी राधा -2
हाँ.... सावरिया रे सावरिया सावरिया भुज  भारी 
राधा चन्द्रबदन.......  

सुन्दर बदन बने राधा के नैन बने रतनारी।
उई नैनन माँ कजरा  सोहै बेंदी माथ बिराजी।।
राधा चन्द्रबदन.......  

अंगुरी के पोर पोर छल्ला बिराजै बाजू  बंद टिहुनाई।
गले हार मोतियन कै माला बिच बिच हीरा हज़ारी।।
राधा चन्द्रबदन.......

तन सोहै मिश्रित का लहंगा ऊपर घुन्ना धारी। 
तीन  हाँथ की  अंगिया सोहै भॅवर  करै गुलजारी।।
राधा चन्द्रबदन.......  

नौ डड़का कै सीढ़ी बनी  है सोला हाथ अटारी। 
पाँव धरत  मोरी पायल बाजै जागै सासु हमारी।।
राधा चन्द्रबदन.......

लइके दियना चढ़ी अटा पर खोलो ननद किवारी।
सूर श्याम बलि जाऊ चरन ते खेलै पंससारी।।
राधा चन्द्रबदन.......

                                                                     निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री  राजेंद्र सिंह (विषधर )
                                                                       लेखक;  शरद सिंह 

एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने