मधुबन तुमकत रहत हरेरे -2
हाँ... हे तुमकत रहत हरेरे -२
मधुबन.......
तुम तरु मोहन मुरली बजावत शाखा पकड़ खड़े रे। अधम निलज्ज लाज नहि आवत तुमको फूले फेरि फिरे रे।।
मधुबन........
हमका आस तनिक नहि छाया की सब रहत खड़े रे। क्यों न जरी वृषभानू नन्दिनी गहि गहि अंक भरे रे।।
मधुबन........
जमुना हो गयी स्याह श्याम बिन जल के जीव जरे रे।
जहिका जरै सो मंगल गावै राखनहार खड़े रे।।
मधुबन........
बन बन व्याकुल फिरै राधिका नैनन नीर भरे रे।
सूर श्याम अस कहत राधिका प्राणी जात बहे रे।।
मधुबन........
निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री राजेंद्र सिंह (विषधर )
लेखक; शरद सिंह
हाँ... हे तुमकत रहत हरेरे -२
मधुबन.......
तुम तरु मोहन मुरली बजावत शाखा पकड़ खड़े रे। अधम निलज्ज लाज नहि आवत तुमको फूले फेरि फिरे रे।।
मधुबन........
हमका आस तनिक नहि छाया की सब रहत खड़े रे। क्यों न जरी वृषभानू नन्दिनी गहि गहि अंक भरे रे।।
मधुबन........
जमुना हो गयी स्याह श्याम बिन जल के जीव जरे रे।
जहिका जरै सो मंगल गावै राखनहार खड़े रे।।
मधुबन........
बन बन व्याकुल फिरै राधिका नैनन नीर भरे रे।
सूर श्याम अस कहत राधिका प्राणी जात बहे रे।।
मधुबन........
निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री राजेंद्र सिंह (विषधर )
लेखक; शरद सिंह