वृषभानु की राजदुलारि अबै दधि बेचि गयो वृंदावन मा vrashbhanu ki raaj dulari abai dadhi looti gayo

वृषभानु की राजदुलारि अबै दधि  बेचि  गयो वृंदावन मा।
हाँ..... वृषभानू रे वृषभानू वृषभानु की राज.......
अबै दधि.........
कहवा की तुम सुधर  ग्वालिनी कह दधि बेचन जायो।
कौने राजा के राज बसत हौ काह तुम्हारा नाव ।।
अबै दधि.........

मथुरा की हम सुधार ग्वालिनी गोकुल बेचन जायो।
राजा कंस के राज वसति हौ राधा हमरो नाव ।।
अबै दधि.........

नंद बाबा की गऊवै चरावै हमसे मांगै दान।
दान देहे बिन जाय न पइहो गिरवी धर दियो हार।।
अबै दधि.........

ठाढ़े ब्रम्हा वेद पढ़ति है बइठे पढै महेश।
काली कमरिया ओढ़ि के आवै पार न पावै शेष।।
अबै दधि.........

                                                                          निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री  राजेंद्र सिंह (विषधर )
                                                                       लेखक;  शरद सिंह  
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