मै न दुहईहो गइया हरि ते -2
हां..... हे मै न दुहईहो गईया-2
हरि ते....
काहे की तोरी बनी दोहनी काहे की चौरइया।
कौने छोड़ै अरण बछेड़ा कोन दुहावै गईया।।
हरि ते....
सोने की तोरी बनी दोहनी रेशम की चौरइया।
राधा छोड़ै अरण बछेड़ा कृष्ण दुहावै गइया।।
हरि ते.....
इत दोहनी उत छांछ चलावै बैठि जाए टिहूनईया।
सिर से ओढ़े काली कमरिया चितवै चोर की नईया।।
हरि ते....
वृंदावन की कुंज गलिन मा श्याम करै लरिकइया।
सूर श्याम बलि जाऊं चरण ते श्याम धरै करिहइया।।
हरि ते.....
निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री राजेंद्र सिंह (विषधर )
लेखक; शरद सिंह