मत करो बैर पिया रघुबर से Mat karo baia piya raghubar se

मत करो बैर पिया  रघुबर से -2
हो मत करो बैर पिया रघुबर से मत करो बैर....... 

हाँथ जोड़ के कहै मंदोदरी मानहु बालम अब ते 
हाँ हाँ हाँ  मानहु बालम अब ते। 
हो दे सीता तुम मिलो राम से जीति सको न उनसे।।
 मत करो बैर ......... 

 उई तो  तिहु लोक  के ठाकुर काल डरत है  उनसे
हाँ हाँ हाँ काल डरत  है उनसे।
हे अंगद हनूमान अस पावक लंका उलटे खर से ।। 
 मत करो बैर ......... 

इतनी बात सुनी रावण की को जीते गा हमसे 
हाँ हाँ हाँ को जीते गा हमसे।
जिनका तोहि अधिक ड़र लागै पाकर लाओ मंडल से ।।

नौबतराय मंदोदरि बोली कहाँ गए थे तबसे 
हाँ हाँ हाँ कहाँ गए थे तबसे। 
हे कुम्भकरन घननाद जूझि गए नाहि बचाई सके तिन्ह बल ते।।
 मत करो बैर ......... 

                                                                        निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री  राजेंद्र सिंह (विषधर )
                                                                       लेखक;  शरद सिंह 
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