खेलत गेंद कन्हैया बिरज मा -2
हाँ..... हे खेलत गेंद कन्हैया -२
बिरज मा खेलत.......
मथुरा मा हरि जन्म लियो है गोकुल बजै बधैया।
मन मोहन के रूप रसिक है कंस के अंत करैया।।
बिरज मा खेलत.......
लइके सखा चले मन मोहन वहीं कदम की छइया।
ताते सखा चोर भये माधव दीजै दाव कन्हैया।।
बिरज मा खेलत.......
मोर मुकुट पीताम्बर ओढ़े मुरली अधर धरैया।
मइया जइहौ गइया चरावन खेलिहौ चकई भवइया।।
बिरज मा खेलत.......
धन धन मथुरा धन धन गोकुल धन्य यशोमति मइया।
सूर श्याम बलि जाऊ चरन ते दीजै दाव कन्हैया।।
बिरज मा खेलत.......
निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री राजेंद्र सिंह (विषधर )
लेखक; शरद सिंह
हाँ..... हे खेलत गेंद कन्हैया -२
बिरज मा खेलत.......
मथुरा मा हरि जन्म लियो है गोकुल बजै बधैया।
मन मोहन के रूप रसिक है कंस के अंत करैया।।
बिरज मा खेलत.......
लइके सखा चले मन मोहन वहीं कदम की छइया।
ताते सखा चोर भये माधव दीजै दाव कन्हैया।।
बिरज मा खेलत.......
मोर मुकुट पीताम्बर ओढ़े मुरली अधर धरैया।
मइया जइहौ गइया चरावन खेलिहौ चकई भवइया।।
बिरज मा खेलत.......
धन धन मथुरा धन धन गोकुल धन्य यशोमति मइया।
सूर श्याम बलि जाऊ चरन ते दीजै दाव कन्हैया।।
बिरज मा खेलत.......
निर्देशक ; श्री राजेंद्र बहादुर सिंह ,श्री राजेंद्र सिंह (विषधर )
लेखक; शरद सिंह